चन्द राजवंश मध्यकाल में एक हिंदू राजवंश था जिसका शासन क्षेत्र वर्तमान भारत के उत्तराखण्ड के कुमाऊं राज्य और आसपास के इलाकों में उस समय था।[1][2] इन्होंने इस क्षेत्र पर ६वीं शताब्दी में कत्यूरी राजवंश को समाप्त कर अपने राज्य और राजवंश स्थापना की तथा १८वीं शताब्दी में गोरखाओं द्वारा पराजित होने तक शासन किया।[3] चन्द राजवंश के शासन काल के दौरान कुमाऊं में सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में बहुत बदलाव देखने को मिले।[उद्धरण चाहिए]
चन्द राजवंश के संस्थापक सोमचंद थे।[4] इनका शासन काल 700-721 ई० में बताया जाता है।[5] सोमचन्द के वक्त चंद वंश के राजा नेपाल के डोटी नरेश को कर दिया करते थे। इसी वंश के भारती चंद ने डोटी के खिलाफ छेड़ा और कुमाऊं में एक स्वतंत्र शासन की नींव राखी।
राजाओं की सूची
बद्री दत्त पाण्डेय ने अपनी पुस्तक कुमाऊँ का इतिहास में निम्न राजाओं के नाम बताये हैं:[6]
राजा
शासन
टिप्पणियां
सोम चन्द
७००-७२१
आत्म चन्द
721-740
पूरण चन्द
७४०-७५८
इंद्र चन्द
७५८-७७८
राज्य भर में रेशम के कारखाने स्थापित किये।
संसार चन्द
७७८-८१३
सुधा चन्द
८१३-८३३
हमीर चन्द
८३३-८५६
वीणा चन्द
८५६-८६९
खस राजाओं द्वारा पराजित हुए।
वीर चन्द
१०६५-१०८०
खस राजाओं को हराकर पुनः राज्य प्राप्त किया।
रूप चन्द
१०८०-१०९३
लक्ष्मी चन्द
१०९३-१११३
धरम चन्द
१११३-११२१
करम चन्द
११२१-११४०
बल्लाल चन्द
११४०-११४९
नामी चन्द
११४९-११७०
नर चन्द
११७०-११७७
नानकी चन्द
११७७-११९५
राम चन्द
११९५-१२०५
भीषम चन्द
१२०५-१२२६
मेघ चन्द
१२२६-१२३३
ध्यान चन्द
१२३३-१२५१
पर्वत चन्द
१२५१-१२६१
थोहर चन्द
१२६१-१२७५
कल्याण चन्द द्वितीय
१२७५-१२९६
त्रिलोक चन्द
१२९६-१३०३
छखाता पर कब्ज़ा किया। भीमताल में किले का निर्माण किया।
डमरू चन्द
१३०३-१३२१
धर्म चन्द
१३२१-१३४४
अभय चन्द
१३४४-१३७४
गरुड़ ज्ञान चन्द
१३७४-१४१९
भाभर तथा तराई पर अधिकार स्थापित किया; हालांकि बाद में उन्हें संभल के नवाब को हार गए।
हरिहर चन्द
१४१९-१४२०
उद्यान चन्द
१४२०-१४२१
राजधानी चम्पावत में बालेश्वर मन्दिर की नींव रखी। चौगरखा पर कब्ज़ा किया।