कोटद्वारGAURAV TUTORIALS A Complete House Of Commerce
कोटद्वार (Kotdwar) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के पौड़ी गढ़वाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह खोह नदी के किनारे बसा हुआ है और इसका भूतपूर्व नाम खोहद्वार (Khohdwar) था।[1][2][3] विवरणकोटद्वार उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। इसे 'गढ़वाल का प्रवेशद्वार' भी कहा जाता है। कोटद्वार से दुगड्डा और लैंसडौन होते हुए पौड़ी तथा श्रीनगर तक पहुंचा जा सकता है, तथा कोटद्वार से देहरादून जाने के लिए उत्तर प्रदेश के नजीबाबाद शहर से होकर गुजरता है। कोटद्वार से नजीबाबाद की दूरी 25 किमी है। नगर का विकास वैसे तो १८९० में रेल के आगमन से ही शुरू हो गया था, किन्तु वास्तविक बसावट प्रमुखतः ५० के दशक में नगर पालिका के निर्माण के बाद ही हुई। २०११ की जनगणना के अनुसार नगर की जनसंख्या ३३,०३५ थी। २०१७ में उत्तराखण्ड शासन द्वारा ऋषिकेश के साथ साथ कोटद्वार को भी नगर निगम घोषित कर दिया गया। नगर निगम बनने के बाद नगर क्षेत्र में ७३ ग्रामों को शामिल किया गया, तथा इसकी जनसंख्या १,३५,००० तक पहुंच गई। इतिहासकोटद्वार का पुराना नगर खोह तथा गिवइन शोत नदियों के संगम पर स्थित था।[4] १८९७ रेलवे लाइन बन जाने के बाद नगर धीरे धीरे दाईं ओर बढ़ने लगा, और खोह नदी की पश्चिमी दिशा की ओर विकसित होने लगा।[5] १९०१ में कोटद्वार को नगर का दर्जा दिया गया था,[6] तथा उसी वर्ष हुई प्रथम जनगणना में नगर की जनसंख्या १०२९ थी। १९०९ में कोटद्वार को लैंसडौन से जोड़ने वाली सड़क का निर्माण सम्पन्न हुआ।[5] इसके बाद लैंसडौन तथा दोगड्डा नगरों के परस्पर विकास के कारण कोटद्वार में काफी पलायन हुआ, और १९२१ में कोटद्वार की जनसंख्या मात्र ३९६ रह गयी; जिसके कारण १९२१ में ही नगर को अवर्गीकृत कर ग्राम घोषित कर दिया गया।[4] १९४०-४१ में कोटद्वार किसी छोटे गाँव के सामान था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय नगर क्षेत्र में काफी विकास हुआ, और १९४९ में इसे पुनः 'नोटिफाइड एरिया' घोषित कर दिया गया।[4] १९५१ में कोटद्वार नगर पालिका की स्थापना हुई, और १९५१-५५ में नगरपालिका के प्रमुख इंजीनियर, के.सी. माथुर ने नगर का पहला मास्टर प्लान बनाया।[4] इस मास्टर प्लान के तहत सबसे पहले रेलवे स्टेशन के आस पास के क्षेत्रों को विकसित किया गया, और उसके बाद नगर को धीरे धीरे उत्तर की ओर बद्रीनाथ मार्ग के दोनों तरफ बढ़ाया गया।[4] बड़ी मस्जिद के इर्द-गिर्द भी आवासीय क्षेत्र बसाये गए। १९५५ में पालिका कार्यालय के समीप एक उद्यान स्थापित किया गया।[4] १९५८-५९ में नगर का विद्युतिकरण किया गया।[5] जलवायुकोटद्वार की जलवायु समशीतोष्ण है, हालांकि यह मौसम के आधार पर बदलती रहती है। पास के पहाड़ी क्षेत्रों में अक्सर सर्दियों में बर्फबारी देखी जाती है, लेकिन कोटद्वार में तापमान ० डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरते नहीं देखा गया है। ग्रीष्मकालीन तापमान अक्सर ४३ डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाते हैं, जबकि सर्दियों के तापमान आमतौर पर ४ और २० डिग्री सेल्सियस के बीच होते हैं। मानसून के मौसम में अक्सर भारी और लंबी वर्षा होती है। पास में ही स्थित पहाड़ी क्षेत्रों के कारण सर्दियों में मौसम अच्छा रहता है। भरपूर वर्षा और पर्याप्त जल निकासी के कारण नगर की मिट्टी उपजाऊ है।
जनसांख्यिकी
२०१७ में नगर की सीमा में विस्तार कर ७१ ग्रामों को नगर क्षेत्र में शामिल किया गया,[8] जिसके बाद नगर की वर्तमान जनसंख्या लगभग १,३५,००० हो गयी है।[9][10] २०११ में हुई जनगणना में नगर की जनसंख्या २८,८५९ थी।[11] कोटद्वार की कुल जनसंख्या ३३,०३५ है जिसमें से १७,१५७ पुरुष और १५,८७८ महिलाएं हैं। कोटद्वार में ० से ६ साल के बीच ४,०३४ बच्चे थे, जिनमें से २,१८७ बालक थे जबकि १,८४७ बालिकाएं थी। कोटद्वार नगर का लिंग अनुपात ९२५ है, अर्थात कोटद्वार में प्रति १००० पुरुष ९२५ महिलाएं थी। २०११ में कोटद्वार की कुल साक्षरता दर ८६.२९% है, जो उत्तराखण्ड की औसत साक्षरता दर (७८.८२%) की तुलना में अधिक है। जनसंख्या-अनुसार, कुल २५,०२४ लोग साक्षर हैं, जिनमें १३,५०८ पुरुष जबकि ११,५१६ महिलाएं हैं। इस प्रकार नगर में पुरुष साक्षरता दर ९०.२३% है, और महिला साक्षरता दर ८२.०८%। नगर में २३,३०६ हिन्दू हैं, जो कुल जनसँख्या का ७०.५५% हैं। इसी प्रकार नगर में ९,१३५ मुसलमान, ३०१ ईसाई, २१५ सिख, १ बौद्ध, तथा ४९ जैन हैं। २ लोग किसी अन्य धर्म से सम्बन्ध रखते हैं, और २६ लोगों का कोई धर्म नहीं है। ५.३% लोग अनुसूचित जाति के हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति के लोग नगर की कुल आबादी का ०.१% हैं। अर्थव्यवस्थाकोटद्वार पूर्वी गढ़वाल क्षेत्र का प्रमुख परिवहन और थोक व्यापार केंद्र रहा है।[6] आटा मिल, तेल निष्कर्षण, प्रिंटिंग प्रेस, चावल के थैलियों का निर्माण, और प्लास्टिक और रबर के उत्पाद कोटद्वार में प्रमुख उद्योग हैं।[4] २०११ की जनगणना के अनुसार कोटद्वार नगर की कुल आबादी में से ९,५२८ लोग कार्य गतिविधियों में शामिल हैं। ९३.९% श्रमिकों ने अपने काम को मुख्य कार्य (६ महीने से अधिक कमाई या रोजगार) बताया जबकि ६.१% ६ महीने से भी कम समय के लिए आजीविका प्रदान करने वाली सीमांत गतिविधि में शामिल थे। मुख्य कार्यों में लगे ९,५२८ व्यक्तियों में से २३ किसान (मालिक या सह-स्वामी) थे, और २६ कृषि मजदूर थे। आवागमनअगर आप कोटद्वार दिल्ली से आते हैं तो गढवाल एक्सप्रेस और मुसूरी एक्सप्रेस आपके लिए अच्छा विकल्प है। अगर आप रोडवेज से आना चाहेँ तो दिल्ली से सीधी बस सेवा कश्मीरी गेट से हर समय उप्लब्ध है।हरिद्वार से नजीबाबाद के रास्ते या जीएमओयू कि बसोँ से लालढाँग के रास्ते जा सकते है। शिक्षा
इन्हें भी देखेंसन्दर्भ
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