उत्तराखण्ड का भूगोलउत्तराखण्ड भौगोलिक रूप से भारत के उत्तर में ३०० २०' उत्तरी अक्षांश ७८० ०४' पूर्वी रेखांश से लेकर ३०० ३३' उत्तरी अक्षांश ७८० ०६' पूर्वी रेखांश पर है।[1] इसके पूर्व में नेपाल और उत्तर में तिब्बत(चीन) है। देश के भीतर उत्तर प्रदेश दक्षिण में और हिमाचल प्रदेश उत्तर पश्चिम में इसके पड़ोसी हैं। उत्तराखण्ड के दो मण्डल हैं: कुमाऊँ और गढ़वाल। भौगोलिक रूपरेखाउत्तराखण्ड के प्राकृतिक भू-भाग, धरातलीय ऊँचाई, वर्षा की मात्रा में भिन्नता होने के कारण उत्तराखण्ड के क्षेत्रीय भाषा मानवीय क्रिया-कलापों में विभिन्नता होना स्वाभाविक है। इसीलिए इस प्रदेश को विभिन्न भू-भागों में बाँटा गया है। ये भू-भाग है: बृहत्तर हिमालय क्षेत्रबृहत्तर हिमालय का भूभाग हिमाच्छादित रहता है। यहाँ नन्दा देवी सर्वोच्च शिखर है जिसकी ऊँचाई ७,८१७ मीटर है। इसके अतिरिक्त कामेत, गंगोत्री, चौखम्बा, बन्दरपूँछ, केदारनाथ, बद्रीनाथ, त्रिशूल बद्रीनाथ शिखर है जो ६,००० मीटर से ऊँचे है। फूलों की घाटी तथा कुछ छोटे-छोटे घास के मैदान जिन्हें बुग्याल के नाम से जानते हैं, भी इसमें सम्मिलित हैं। इस भू-भाग में केदारनाथ, गंगोत्री आदि प्रमुख हिमनद है जैसे कि गंगोत्री हिमनद, यमनोत्री हिमनद, जो गंगा-यमुना आदि नदियों के उद्गम स्थल है। यह भू-भाग अधिकतर ग्रेनाइट, नीस व शिष्ट शैलों से आवृत है। मध्य हिमालयबृहत्तर हिमालय के दक्षिण में मध्य-हिमालय भूभाग फैला हुआ है जो ७५ कि॰मी॰ चौड़ा है। इस भूभाग में गढ़वाल के अन्तर्गत टिहरी गढ़वाल तथा कुमाऊँ के अन्तर्गत अल्मोड़ा और नैनीताल का उत्तरी भाग भी सम्मिलित है जो कि ३,००० से ५,००० मी. तक के भूभाग में फैले हुए है। दून या शिवालिकयह क्षेत्र मध्य हिमालय के दक्षिण में विद्यमान है। इसे बाह्य हिमालय के नाम से भी पुकारते हैं। इस क्षेत्र के अन्तर्गत ६,००० मीटर से १,५०० मीटर ऊँचे वाले क्षेत्र अल्मोड़ा के दक्षिणी क्षेत्र, मध्यवर्ती नैनीताल, देहरादून मिला है। शिवालिक एवँ मध्य श्रेणियों के बीच क्षैतिज दूरी पाई जाती है जिन्हें दून कहा जाता है। दून का अर्थ घाटियों से है। इस घाटी के अन्तर्गत २४ से ३२ कि॰मी॰ चौड़ी ३५० से ७५० मी. ऊँची देहरादून की घाटी अत्यन्त महत्वपूर्ण है जो कि वर्तमान समय में उत्तराखण्ड की राजधानी है। अन्य दून घाटियों के रूप में देहरादून, पवलीदून, केहरीदून आदि प्रमुख हैं। तराई व भाभर क्षेत्रतराई व भाभर क्षेत्र के अन्तर्गत हरिद्वार और उधम सिंह नगर के मैदानी क्षेत्र सम्मिलित हैं। इस भाग में पर्वतीय क्षेत्र सम्मिलित है। हालाँकि इस भाग में पर्वतीय नदियाँ, नालों, रेतीली भूमि के अदृश्य हो जाती है। हरिद्वार का मैदानी भूभागइस क्षेत्र की उत्तरी सीमा ३०० मी. की समोच्च रेखा द्वारा निर्धारित होती है जो गढ़वाल और कुमाऊँ को पृथक करती है। हरिद्वार एक विश्वविख्यात और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहाँ बारह वर्ष के बाद कुम्भ मेला लगता है। मौसमउत्तराखण्ड का मौसम दो भागों में विभाजित किया जा सकता है: पर्वतीय और कम पर्वतीय या समतलीय। उत्तर और उत्तरपूर्व में मौसम हिमालयी उच्च भूमियों का प्रतीकात्मक है, जहाँ पर मॉनसून का वर्ष पर बहुत प्रभाव है।
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