अल्मोड़ा जिला
अल्मोड़ा ज़िला (Almora district) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल का एक ज़िला है। इसका मुख्यालय अल्मोड़ा है। अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत, हस्तकला, खानपान और ठेठ पहाड़ी सभ्यता व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।[1][2] पृष्ठभूमिअल्मोड़ा जिले का विवरण :
इतिहास१८१४ के आंग्ल गोरखा युद्ध में विजय के पश्चात १८१६ की सुगौली की संधि के तहत ईस्ट इंडिया कंपनी ने कुमाऊँ, देहरादून और पूर्व गढ़वाल को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया और पश्चिम गढ़वाल राजा सुदर्शन शाह को दे दिया जिसमें उन्होंने टिहरी रियासत की स्थापना की। कुमाऊँ मण्डल तब केवल २ जिलों में विभाजित था, कुमाऊँ तथा तराई, जिनके मुख्यालय क्रमशः अल्मोड़ा तथा काशीपुर नगरों में स्थित थे।[3] कुमाऊँ जिले के अंतर्गत वर्तमान उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा, बागेश्वर, नैनीताल, चम्पावत, पिथौरागढ़, पौड़ी गढ़वाल, चमोली तथा रुद्रप्रयाग जिले के कुछ भाग आते थे, और तराई जिला वर्तमान उधम सिंह नगर जिले के समकक्ष था। १८३७ में पूर्वी गढ़वाल क्षेत्र को कुमाऊँ जिले से निकालकर अलग जिला घोषित कर दिया गया, और इसका मुख्यालय पौड़ी नगर में रखा गया। नैनीताल तहसील को १८९१ में कुमाऊं जिले से स्थानांतरित कर तराई के साथ मिला दिया गया, और फिर इसके मुख्यालय को काशीपुर से नैनीताल में लाया गया था। १८९१ में ही कुमाऊँ और तराई जिलों का नाम उनके मुख्यालयों के नाम पर क्रमशः अल्मोड़ा तथा नैनीताल रख दिया गया था। १९६० के दशक में बागेश्वर और चम्पावत जिले नहीं बनें थे और तब ये अल्मोड़ा जिले के ही भाग थे।[4] पिथौरागढ़ जिला २४ फरवरी १९६० को,[5] और बागेश्वर जिला १५ अगस्त १९९७ को अल्मोड़ा जिले से अलग कर बनाया गया था।[6] २०११ में रानीखेत जिले को भी अल्मोड़ा जिले से बनाने की घोषणा हुई थी, परन्तु उस घोषणा को अमल में नहीं लाया गया।[7] भूगोल![]() अल्मोड़ा कस्बा पहाड़ पर घोड़े की काठीनुमा आकार के रिज पर बसा हुआ है। रिज के पूर्वी भाग को तालिफत और पश्चिमी भाग को सेलिफत के नाम से जाना जाता है। यहाँ का स्थानीय बाज़ार रिज की चोटी पर स्थित है जहाँ पर तालिफत और सेलिफत संयुक्त रूप से समाप्त होते हैं। बाज़ार २.०१ किमी लम्बा है और पत्थर की पटियों से से ढका हुआ है। जहाँ पर अभी छावनी है, वह स्थान पहले लालमंडी नाम से जाना जाता था। वर्तमान में जहाँ पर कलक्टरी स्थित है, वहाँ पर चंद राजाओं का 'मल्ला महल' स्थित था। वर्तमान में जहाँ पर जिला अस्पताल है, वहाँ पर चंद राजाओं का 'तल्ला महल' हुआ करता था। सिमलखेत नामक एक ग्राम अल्मोड़ा और चमोली की सीमा पर स्थित है। इस ग्राम के लोग कुमाँऊनी और गढ़वाली दोनो भाषाएँ बोल सकते हैं। पहाड़ की चोटी पर एक मंदिर है, भैरव गढ़ी। गोरी नदी अल्मोड़ा जिले से होकर बहती है। अल्मोड़ा में एक प्रसिद्ध नृत्य अकादमी है, डांसीउस - जहाँ बहुत से भारतीय और फ्रांसीसी नर्तकों को प्रक्षिक्षण दिया गया था। इसकी स्थापना उदय शंकर द्वारा १९३८ में की गई थी। अल्मोड़ा नृत्य अकादमी को कस्बे के बाहर रानीधार नामक स्थान पर गृहीत किया गया। इस स्थान पर से हिमालय और पूरे अल्मोड़ा कस्बे का शानदार दृश्य दिखाई देता है।
प्रशासनजिले के प्रशासनिक मुख्यालय अल्मोड़ा नगर में स्थित हैं। प्रशासनिक कार्यों से जिले को ६ उपखण्डों में बांटा गया है, जो आगे १२ तहसीलों और २ उप-तहसीलों में विभाजित हैं। ये हैं: अल्मोड़ा उपखण्ड (अल्मोड़ा, सोमेश्वर); जैंती उपखण्ड (जैंती, भनोली, लमगड़ा [उप-तहसील]); द्वाराहाट उपखण्ड (द्वाराहाट, चौखुटिया, जालली, बग्वालीपोखर), रानीखेत उपखण्ड (रानीखेत); भिकियासैण उपखण्ड (भिकियासैण, स्याल्दे) और सल्ट उपखण्ड (सल्ट, मछोर [उप-तहसील])। इसके अतिरिक्त, जिले को ११ विकासखंडों में भी बांटा गया है: हवालबाग, चौखुटिया, भैंसियाछाना, द्वाराहाट, सल्ट, भिक्यासैंण, ताड़ीखेत, ताकुला, स्याल्दे, लमगड़ा और धौला देवी। जिले में एक संसदीय क्षेत्र, और ६ उत्तराखण्ड विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर, अल्मोड़ा और जागेश्वर शामिल हैं। यातायातवायुयहाँ से निकटतम विमानतल पंतनगर (नैनीताल) में है, जिसकी दूरी है, १२७ किमी। रेलसबसे निकटतम रेलवे स्टेशन में काठगोदाम है, जो यहाँ से ९० किमी दूर स्थित है, औए वहाँ से दिल्ली, लखनऊ और आगरा के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं। काठगोदाम का स्टेशन भी वहाँ से कुछ दूरी पर स्थित है। काठगोदाम से कुछ मुख्य रेलें हैं:
सड़कअल्मोड़ा सड़क मार्ग द्वारा इस क्षेत्र के प्रमुख केन्द्रों से जुड़ा है। विभिन्न केन्द्रों की दूरियाँ:
इन्हें भी देखेंबाहरी कड़ियाँसन्दर्भ
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