रुद्रपुर
रुद्रपुर (Rudrapur) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर ज़िले में स्थित एक नगर है। जनसंख्या के आधार पर यह कुमाऊँ का दूसरा, जबकि उत्तराखण्ड का पांचवां सबसे बड़ा नगर है। इस नगर की स्थापना कुमाऊँ के राजा रुद्र चन्द ने सोलहवीं शताब्दी में की थी, और तब यह तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास स्थल हुआ करता था। यह दिल्ली, तथा देहरादून से २५० एवं हल्द्वानी से 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रुद्रपुर उत्तराखण्ड का एक प्रमुख औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र होने के साथ साथ उधम सिंह नगर जनपद का मुख्यालय भी है।[1][2] इतिहासरुद्रपुर नगर की स्थापना अल्मोड़ा के राजा रुद्र चंद ने सोलहवीं शताब्दी में करी थी।[3] दक्षिण के मुस्लिम राजाओं द्वारा तराई क्षेत्र में लगातार हो रहे आक्रमणों से निजात पाने के लिए उन्होंने रूद्रपुर में एक सैन्य शिविर की स्थापना की। बाज बहादुर चन्द के राज के समय से तराई क्षेत्र के लाट (अधिकारी) का निवास भी यहाँ ही हो गया।[4] १७४४ में चन्दों तथा रुहेलाओं के बीच लड़ी गयी रुद्रपुर की लड़ाई में शिव देव जोशी की अगुवाई में कुमाउँनी सेना को गंभीर हार का सामना करना पड़ा था।[4] इसके कुछ वर्षों बाद राजा दीप चन्द ने रुहेलाओं की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए रुद्रपुर में एक किले का निर्माण किया।[3][4] अठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, काशीपुर के लाट नंद राम ने रुद्रपुर के अधिकारी मनोरथ जोशी की हत्या कर दी, और काशीपुर में अपनी राजधानी स्थापित कर स्वयं को निचले तराई क्षेत्रों का शासक घोषित कर दिया।[5] १७९० में अल्मोड़ा के पतन के बाद, उसने रुद्रपुर और उसके पूर्व की ओर स्थित क्षेत्रों को अवध के नवाब को सौंप दिया गया, जिनका अधिपत्य इन क्षेत्रों पर १८०१ में अंग्रेजों के कब्जे तक रहा।[6] १८३७ में रुद्रपुर को रुहेलखंड के कलेक्टर के अधीन कर दिया गया।[5] १८५८ में इसे कुमाऊँ डिविजनरी के तहत लाया गया, लेकिन १८६१ में इसे वापस रुहेलखंड मण्डल में स्थानांतरित कर दिया गया।[5] १८६४-६५ में पूरे तराई-भाबर को "तराई और भाबर सरकारी अधिनियम" के तहत रखा गया, जिसे ब्रिटिश सरकार द्वारा सीधे नियंत्रित किया जाना था। १८९१ में, तराई जनपद को नष्ट कर दिया गया, और रुद्रपुर को नवनिर्मित नैनीताल जनपद में डाल दिया गया। स्वतंत्रता के बाद रुद्रपुर और नैनीताल जनपद के अन्य हिस्से संयुक्त प्रांत में ही मिले रहे, जिसका नाम बाद में उत्तर प्रदेश राज्य हो गया था। १९८४ में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद, कई सिख चरमपंथियों ने पंजाब छोड़ दिया और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में शरण ली।[3] इसके बाद १९९१ में नगर में बम विस्फोटों के कई मामले सामने आए थे। १९९१ के मध्य में रुद्रपुर बाजार में एक बम विस्फोट हुआ, और रोडवेज़ की बस में भी एक बम समय रहते डिफ्यूज किया गया था।[7] १७ अक्तूबर १९९१ को नगर में रामलीला के उत्सव में दो बम विस्फोट हुए, जिनमें ४१ लोगों की मृत्यु हो गई, और १४० से अधिक घायल हो गए थे।[8] बाद में क्षेत्र में खालिस्तान कमांडो फोर्स के दो सदस्यों की मार गिराया गया था।[9][10] १९९४ तक उत्तराखण्ड क्षेत्र के लिए पृथक राज्य की मांग पूरे क्षेत्र में स्थानीय आबादी और राजनीतिक दलों, दोनों के बीच लगभग सर्वसम्मति से स्वीकार हो चुकी थी।[11] ३० सितंबर १९९५ को नैनीताल जनपद के तराई क्षेत्र की चार तहसीलों (किच्छा, काशीपुर, सितारगंज तथा खटीमा) को मिलाकर उधम सिंह नगर जनपद का गठन किया गया और रुद्रपुर को इस जनपद का मुख्यालय बनाया गया।[12] ९ नवंबर २००० को भारत की संसद ने उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, २००० को पारित किया, और रुद्रपुर उत्तराखण्ड का भाग बन गया, जो भारत गणराज्य का २७वां राज्य था।[13] भूगोलउत्तराखण्ड के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित रुद्रपुर हल्द्वानी से दक्षिण में 29 किलोमीटर दिल्ली के उत्तर-पूर्व में २५० किलोमीटर (973 मील), लखनऊ से ३५० किलोमीटर (434 मील) उत्तर-पश्चिम में, और देहरादून के २५० किलोमीटर (350 मील) दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह तराई क्षेत्र में स्थित है, और कल्याणी नदी इस नगर से होकर बहती है।[14][15] २१५ मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित रुद्रपुर नगर के निर्देशांक 28°59′N 79°24′E / 28.98°N 79.40°E हैं।[16] रुद्रपुर नगर २७.६५ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। जलवायुरुद्रपुर की जलवायु आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय है, तथा कोपेन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार इसका कोड "cwa" है। नगर की जलवायु लगभग दक्षिण के मैदानों के समान है। वर्ष भर में चार मौसम देखे जाते हैं। गर्मी का मौसम मार्च से लेकर जून के अंत तक होता है। मानसून का मौसम उसके बाद शुरू होता है और सितंबर के मध्य तक रहता है। मध्य सितंबर से नवंबर की अवधि में शरद ऋतु तथा फिर दिसंबर से फरवरी तक सर्दियों का मौसम होता है। नगर का वार्षिक औसत तापमान २४.३१ डिग्री सेल्सियस है; जबकि मासिक औसत तापमान १५-३१ डिग्री सेल्सियस तक रहता है।[17] गर्मियों में अधिकतर तापमान लगभग ३१.६ डिग्री सेल्सियस जबकि सर्दियों में यह लगभग १४.९ डिग्री सेल्सियस तक रहता है।[17] जून और सितंबर के बीच मानसून के कारण भारी वर्षा होती है। वर्ष भर में औसत १३०२ मिलीमीटर वर्षा दर्ज की जाती रही है।[17] मानसून के बाद, तथा सर्दियों और गर्मियों के मौसम के शुरुआती दिनों में नगर में उत्तर-पश्चिम या पश्चिम की हवाएं रहती हैं। गर्मियों के अंत समय और मॉनसून के मौसम में हवाएं मुख्य रूप से पूर्वी या दक्षिण-पूर्वी होती हैं। मानसून के मौसम में आर्द्रता बहुत अधिक होती है और फिर सर्दियों में यह थोड़ा कम हो जाती है।
जनसांख्यिकी
२००१ की जनगणना के अनुसार, रुद्रपुर की जनसंख्या ८८,६७६ थी,[19] जो २०११ में बढ़कर १,४०,८५७ हो गई।[20] २०११ की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या में ५३% पुरष और ४७% महिलाएं हैं।[21] रुद्रपुर में औसत साक्षरता दर ७१% है: ७८% पुरुष और ६३% महिलाएं साक्षर है।[21] कुल जनसंख्या के १४% की उम्र ६ साल से कम है।[21] २०११ की जनगणना के अनुसार, रुद्रपुर महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या १,५४,४८५ है।[22][23] रुद्रपुर महानगरीय क्षेत्र में रुद्रपुर नगर निगम तथा रुद्रपुर सिडकुल क्षेत्र के अतिरिक्त जगतपुरा और रम्पुरा कस्बों को शामिल किया गया है।[24] रुद्रपुर कुमाऊं में दूसरा और उत्तराखण्ड में पांचवां सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर है। रूद्रपुर की लगभग ८०% जनसंख्या नजूल भूमि पर निवास करती है।[25] इसके अलावा, ४१.९५% लोग झोपड़पट्टियों में रहते हैं। नगर में सदैव ही बड़े पैमाने पर जनसंख्या वृद्धि देखी गई है। १९६१-१९७१ के जनगणना के वर्षों के दौरान नगर की जनसंख्या लगभग तीन गुना बढ़ी जबकि १९८१-१९९१ के दौरान यह बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई।[26] १९७१ में जसपुर और २०११ में काशीपुर को पीछे छोड़कर रुद्रपुर कुमाऊं में दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला शहर बन गया है।[18] जनसंख्या में इस उच्च विकास दर का श्रेय पहाड़ी क्षेत्रों से लोगों के निरंतर प्रवास, और विगत वर्षों में सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना को दिया जाता रहा है। २०११ की जनगणना के अनुसार, रूद्रपुर में ८०.२९% लोग हिंदू हैं।[27] १५.७६% लोग इस्लाम का अनुसरण करते हैं, जो नगर में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह हैं। इसके अतिरिक्त नगर में ईसाई धर्म के अनुयाइयों का प्रतिशत ०.४३%, जैन धर्म के अनुयाइयों का ०.१२%, सिख धर्म के अनुयाइयों का ३.१७% और बौद्ध धर्म के अनुयाइयों का भी ३.१७% था।[27] लगभग ०.०३% लोग इनसे इतर किसी 'अन्य धर्म' का अनुसरण करते हैं जबकि ०.१७% लोग किसी भी धर्मं से सम्बन्ध नहीं रखते। नगर में 'अपवित्रता' के कथित कृत्य के बाद २ अक्टूबर २०११ को सांप्रदायिक झड़पें देखी गयी थी, जिसके कारण अधिकारियों ने नगर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू कर दिया था।[28][29] शुरुआत में तीन व्यक्तियों के मारे जाने की खबरें भी उठी थी,[30] लेकिन बाद में एक आधिकारिक बयान ने पुष्टि की कि शहर के विभिन्न हिस्सों में फैली हिंसा में दो लोगों की मृत्यु हो गयी थी।[31] इन झड़पों में लगभग ५ दुकानों को, और कई वाहनों को भी जलाया गया था।[30] शिक्षावर्ष २०१६ की सांख्यिकी पत्रिका के अनुसार रुद्रपुर नगर में १८ जूनियर बेसिक स्कूल, १५ सीनियर बेसिक स्कूल, ११ हायर सेकेंडरी स्कूल (९ बालक, २ बालिका) तथा ३ राजकीय महाविद्यालय स्थित हैं।[32] १९७४ में खुला सरदार भगत सिंह राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नगर का सबसे पुराना तथा एकमात्र सरकारी डिग्री कॉलेज है। २००४-०५ में नगर में कई निजी कॉलेज खुले जिनमें देवस्थली विद्यापीठ कॉलेज, देवभूमि कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, केशव सूर्यमुखी कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, ड्रोन बी.एड कॉलेज, सरस्वती इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी इत्यादि शामिल हैं। २००८ में खुला यूनिटी लॉ कॉलेज क्षेत्र का एकमात्र लॉ कॉलेज है। सभी कॉलेज कुमाऊँ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं। आवागमन![]() पंतनगर विमानक्षेत्र नगर के केंद्र से १२.२ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा संचालित इस हवाई अड्डे से दिल्ली और देहरादून के लिए घरेलू उड़ानें उपलब्ध हैं।[33] इसमें एक रनवे है, जो कि ४,५०० फीट लंबा है, और टर्बोप्रॉप विमानों को संभालने में सक्षम है।[34] रुद्रपुर में रेल सेवा की शुरुआत १८८६ में हुई, जब रोहिलखंड और कुमाऊं रेलवे द्वारा बरेली-काठगोदाम लाइन पर स्थित लालकुआँ को रामपुर से जोड़ने वाली एक शाखा लाइन का निर्माण किया गया। रुद्रपुर रेलवे स्टेशन रामपुर-लालकुआँ ब्रॉड गेज रेलवे लाइन पर स्थित है और यह भारतीय रेलवे के उत्तर पूर्वी रेलवे क्षेत्र के इज्जतनगर रेलवे मण्डल के अंतर्गत आता है। तीन प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग रुद्रपुर से होकर गुजरते हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग ९, जो पंजाब में मालौत से उत्तराखंड में पिथौरागढ़ तक जाता है, रुद्रपुर को दिल्ली, रामपुर, रोहतक, हिसार, सितारगंज, खटीमा, टनकपुर और पिथौरागढ़ इत्यादि शहरों से जोड़ता है। रुद्रपुर से शुरू होने वाले अन्य राजमार्गों में राष्ट्रीय राजमार्ग १०९ और राष्ट्रीय राजमार्ग ३०९ शामिल हैं। एक दूसरा मार्ग जिसे रामपुर रोड के नाम से जाना जाता है, वह रुद्रपुर को हल्द्वानी और रामपुर से जोड़ता है। रुद्रपुर बस स्टेशन अंतर्राज्यीय मार्गों पर चलने वाली उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों के लिए केंद्रीय बस स्टैंड के रूप में कार्य करता है। यह स्टेशन १९६० से पहले बनाया गया था और लगभग ४ एकड़ में फैला हुआ है।[35] इन्हें भी देखेंबाहरी कड़ियाँसन्दर्भ
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