चतुर्विम यूक्लिडीन समष्टि में घूर्णनगणित में चतुर्विम यूक्लिडीन समष्टि में किसी स्थिर बिन्दु के सापेक्ष घूर्णन के समूह को SO(4) अथवा एसओ(४) से निरूपित किया जाता है। यह विशिष्ट लाम्बिक समूह की चतुर्थ कोटि (के तुल्यकारिक) है। इस लेख में घूर्णन का अर्थ घूर्णी विस्थापन है। चतुर्विम घूर्णन की ज्यामितिचतुर्विम घूर्णन को दो तरह से परिभाषित किया जाता है: साधारण अथवा सरल घूर्णन एवं दोहरा घूर्णन। सरल घूर्णनघूर्णी केन्द्र O के सापेक्ष सरल घूर्णन R, पूर्ण समतल A को O के सापेक्ष (अक्षीय-तल) के सापेक्ष नियत रखता है। A के सापेक्ष पूर्णतः लाम्बिक प्रत्येक तल B, A को किसी निश्चित बिन्दु P पर काटता है।[1] ऐसा प्रत्येक बिन्दु P, B में R द्वारा प्रेरित द्विविमीय घूर्णन का केन्द्र बिन्दु होगा। इस तरह के सभी द्विविमीय घूर्णन समान घूर्णन कोण से होते हैं। अक्षीय-तल A में O से किरणें विस्थापित नहीं होती; A के लाम्बिक O से किरणें कोण से विस्थापित होती हैं; अन्य सभी किरणें से कम कोण से विस्थापित होती हैं। दोहरा घूर्णन![]() ![]() चतुर्विम समष्टि में प्रत्येक घूर्णन R (स्थिर मूल बिन्दु के सापेक्ष), दो लाम्बिक द्विविम तल A और B का कम से कम एक युग्म, जिनमें प्रत्येक निश्चर है और इनका सीधा संकल A⊕B पूर्ण चतुर्विम समष्टि है। अतः R किसी भी तल पर उसके साधारण घूर्णन जनित करता है। लगभग सभी R के लिए (3-विमीय उपसमुच्चय को छोड़कर सभी सभी 6-विमीय घूर्णन समुच्चय) तल A में घूर्णन कोण α और तल B में β — दोनों को शून्यतर माना जाता है — भिन्न हैं। -π < α, β < π को सन्तुष्ट करने वाले असमान घूर्णन कोण α और β लगभग* R द्वारा अद्वितीय रूप से ज्ञात किये जा सकते हैं।
टिप्पणी
सन्दर्भ
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